अर्जुन पुरस्कार, खेल रत्न और राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार : एक विस्तृत लेख
भारत खेलों के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है। हमारे खिलाड़ियों ने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का नाम रोशन किया है। खिलाड़ियों की मेहनत और योगदान को मान्यता देने के लिए भारत सरकार ने कई राष्ट्रीय खेल पुरस्कार (National Sports Awards) शुरू किए। इनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं:
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अर्जुन पुरस्कार
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खेल रत्न पुरस्कार (पूर्व में राजीव गांधी खेल रत्न, अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न)
आइए इन पुरस्कारों के इतिहास, महत्व और वर्तमान स्वरूप को विस्तार से समझें।
अर्जुन पुरस्कार (Arjuna Award)
स्थापना और उद्देश्य
स्थापना वर्ष: 1961
उद्देश्य: उन खिलाड़ियों को सम्मानित करना जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन किया हो और खेल भावना का परिचय दिया हो।सम्मान स्वरूप
- अर्जुन की कांस्य प्रतिमा
- सम्मान पत्र
- नकद पुरस्कार (वर्तमान में ₹15 लाख)
विशेषताएँ
- यह पुरस्कार भारत का सबसे पुराना खेल सम्मान है।
- इसमें ओलंपिक, विश्व चैम्पियनशिप, एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेल जैसे बड़े आयोजनों में प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को प्राथमिकता दी जाती है।
- इसमें दिव्यांग खिलाड़ियों और पारंपरिक खेलों के खिलाड़ियों को भी शामिल किया जाता है।
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार → अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार
स्थापना और नाम परिवर्तन
- स्थापना वर्ष: 1991-92
- पहला विजेता: शतरंज के विश्वनाथन आनंद
- पहले इसका नाम राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार था।
- 6 अगस्त 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि इसका नाम बदलकर “मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार” रखा जाएगा।
- नया नाम महान हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद के सम्मान में रखा गया।
उद्देश्य
खेलों में असाधारण और निरंतर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित करना।
यह भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान है।सम्मान स्वरूप
- सम्मान पत्र
- पदक
- नकद राशि (वर्तमान में ₹25 लाख)
महत्व
इस पुरस्कार को पाने वाले खिलाड़ियों को खेलों का भारत रत्न माना जाता है।
यह केवल व्यक्तिगत उपलब्धि ही नहीं, बल्कि देश की प्रतिष्ठा को भी दर्शाता है।खेल रत्न और राजीव गांधी खेल रत्न में अंतर
- खेल रत्न और राजीव गांधी खेल रत्न मूलतः एक ही पुरस्कार हैं।
- पहले इसे राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार कहा जाता था।
- अब इसका नाम मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार है।
- आम बोलचाल में इसे खेल रत्न कहा जाता है।
विजेताओं की झलक
- अर्जुन पुरस्कार: पी.टी. ऊषा, मिल्खा सिंह, मैरी कॉम, संजीव राजपूत, नीरज चोपड़ा आदि।
- खेल रत्न (राजीव गांधी/ध्यानचंद खेल रत्न): विश्वनाथन आनंद (शतरंज), सचिन तेंदुलकर (क्रिकेट), साइना नेहवाल (बैडमिंटन), विराट कोहली (क्रिकेट), मीराबाई चानू (वेटलिफ्टिंग), नीरज चोपड़ा (एथलेटिक्स) आदि।
सारांश
- अर्जुन पुरस्कार (1961): उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को दिया जाता है।
- राजीव गांधी खेल रत्न / खेल रत्न (1991-92 से, अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न): सर्वोच्च खेल सम्मान, निरंतर असाधारण प्रदर्शन के लिए दिया जाता है।
- दोनों पुरस्कार हर वर्ष राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति भवन में प्रदान किए जाते हैं।
निष्कर्ष
भारतीय खेल पुरस्कार केवल खिलाड़ियों की उपलब्धियों का सम्मान नहीं हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को खेलों के प्रति प्रेरित करने का एक साधन भी हैं। अर्जुन पुरस्कार मेहनत और समर्पण को मान्यता देता है, जबकि खेल रत्न निरंतर असाधारण उपलब्धि की पहचान है। इन पुरस्कारों से न केवल खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ता है, बल्कि भारत की खेल संस्कृति भी मज़बूत होती है।