भारतीय कला एवं संस्कृति – इतिहास, विशेषताएँ, महत्व
भारतीय कला एवं संस्कृति (Indian Art & Culture) भारत की प्राचीनता, विविधता और सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत संगम है। यह विषय UPSC, SSC, State PSC, Railway, Teaching Exams (CTET, UPTET) में हमेशा पूछा जाता है। भारत की कला, स्थापत्य, संगीत, नृत्य, साहित्य और परंपराएँ हमारी पहचान और गौरव का प्रतीक हैं। इस लेख में भारतीय कला एवं संस्कृति को परीक्षा-उपयोगी ढंग से समझाया गया है।
भारतीय संस्कृति क्या है? (What is Indian Culture?)
भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी और जीवंत संस्कृतियों में से एक है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं– विविधता (Diversity), निरंतरता (Continuity), सहिष्णुता (Tolerance), आध्यात्मिकता (Spiritualism), परिवार-केन्द्रित जीवन, और प्रकृति के प्रति सम्मान। भारत में जातीय, धार्मिक, भाषाई और भौगोलिक विविधता होने के बावजूद सांस्कृतिक एकता हमेशा बनी रही।
भारतीय कला का विकास (Evolution of Indian Art)
भारतीय कला का इतिहास लगभग 10,000 वर्षों से भी अधिक पुराना है। इसका आरंभ भीमबेटका की गुफा चित्रों से होता है, जहाँ शिकार, नृत्य और दैनिक जीवन की आकृतियाँ मिली हैं। इसके बाद सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) में विकसित मूर्तिकला और नगर योजना ने भारतीय कला को नई ऊँचाई दी। मौर्य, गुप्त, चालुक्य, चोल और मुगल काल में कला ने स्वर्ण युग देखा।
भारतीय स्थापत्य कला (Indian Architecture)
भारत की स्थापत्य कला कालानुक्रमिक रूप से विविध और अनूठी है। मौर्यकाल के अशोक स्तंभ, गुप्तकाल के मंदिर, चोल काल के द्रविड़ मंदिर, कर्नाटक के होयसला शिल्प, और उत्तर भारत की नागर शैली स्थापत्य की उच्च परंपरा को दर्शाते हैं।
मुगलकाल में इंडो-इस्लामिक स्थापत्य शैली का विकास हुआ, जिसमें ताजमहल, कुतुब मीनार, लालकिला प्रमुख उदाहरण हैं।
भारतीय संगीत (Indian Music)
भारतीय संगीत दो प्रमुख परंपराओं में विभाजित है—हिंदुस्तानी संगीत (उत्तर भारत) और कर्नाटक संगीत (दक्षिण भारत)।
भारतीय संगीत का आधार राग, ताल, स्वर और लय हैं। तानसेन, पंडित रविशंकर, बिस्मिल्लाह ख़ान, एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी जैसे कलाकारों ने भारतीय संगीत को विश्वपटल पर स्थापित किया है।
भारतीय नृत्य (Indian Classical Dance Forms)
भारत में नृत्य दो रूपों में मिलता है—शास्त्रीय (Classical) और लोक (Folk)।
सात प्रमुख शास्त्रीय नृत्य हैं:
भरतनाट्यम, कथक, ओडिसी, कथकली, कुचिपुड़ी, मणिपुरी और मोहिनीअट्टम।
इन नृत्यों में अभिनय, मुद्राएँ, ताल और संगीत का सुंदर संयोजन होता है।
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भारतीय साहित्य (Indian Literature)
भारत का साहित्य वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों से शुरू होता है। संस्कृत साहित्य के साथ-साथ तमिल, हिंदी, बंगाली, मराठी, उर्दू आदि भाषाओं में भी उत्कृष्ट साहित्य रचा गया है।
भक्ति आंदोलन ने हिंदी साहित्य को नई दिशा दी—कबीर, तुलसीदास, सूरदास, रहीम, मीराबाई जैसे कवियों ने समाज और संस्कृति को जोड़ा।
भारतीय चित्रकला (Indian Painting)
भारत की चित्रकला परंपरा अत्यंत प्राचीन है। अजंता-एलोरा की भित्तिचित्र कला विश्व में प्रसिद्ध है। मुगलकाल में भारतीय और फारसी चित्रकला का सुंदर संगम हुआ। राजस्थानी और पहाड़ी शैली की पेंटिंग मध्यकाल की समृद्ध धरोहर हैं।
आधुनिक काल में राजा रवि वर्मा, अमृता शेरगिल, एम. एफ. हुसैन जैसे कलाकारों ने भारतीय कला को आधुनिक रूप दिया।
भारतीय त्यौहार और सांस्कृतिक परंपराएँ (Festivals & Traditions)
भारत को “त्यौहारों का देश” कहा जाता है। दीपावली, होली, ईद, क्रिसमस, पोंगल, ओणम, बिहू, नवरात्रि आदि त्यौहार भारतीय समाज में एकता और सद्भावना को बढ़ाते हैं।
योग, आयुर्वेद, ज्योतिष, व्रत-उपवास, लोकगीत, लोककथाएँ भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं।
भारतीय संस्कृति का महत्व (Importance of Indian Culture)
भारतीय संस्कृति की विशेषता है—निरंतरता, विविधता, आध्यात्मिकता और एकता की भावना। विश्व में भारत इसलिए अलग पहचान रखता है क्योंकि यहाँ अनेक धर्म, भाषाएँ और परंपराएँ एक साथ फलती-फूलती हैं।
UPSC और अन्य परीक्षाओं में संस्कृति इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत के इतिहास, समाज और मूल्यों को समझने का आधार है।
निष्कर्ष
भारतीय कला एवं संस्कृति केवल अतीत की कहानी नहीं है, बल्कि यह भारत की पहचान, गौरव और सामाजिक मूल्यों की जीवित धरोहर है। इसकी विविधता, गहराई और निरंतरता इसे विश्व की महानतम संस्कृतियों में स्थान देती है। परीक्षा की दृष्टि से यह विषय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत की सभ्यता, इतिहास और समाज का मूल परिचय है।

