ज्ञानपीठ पुरस्कार (Gyan Peeth Award) – इतिहास, विजेता, महत्व और परीक्षा के लिए तथ्य
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित साहित्यिक सम्मान है। इसे प्रतिवर्ष उन लेखकों को दिया जाता है जिन्होंने भारतीय भाषाओं में असाधारण योगदान किया है। यह पुरस्कार भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित 22 भाषाओं के लेखकों को दिया जाता है।
ज्ञानपीठ पुरस्कार क्या है?
- ज्ञानपीठ पुरस्कार को भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट ने वर्ष 1961 में प्रारंभ किया।
- यह पुरस्कार उन लेखकों को दिया जाता है जिन्होंने अपनी सृजनात्मक रचनाओं से भारतीय साहित्य को समृद्ध किया है।
- इसे साहित्य की दुनिया में भारत का “नोबेल पुरस्कार” कहा जाता है।
इतिहास
- भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट की स्थापना 1944 में साहू शांति प्रसाद जैन द्वारा की गई।
- पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में जी. शंकर कुरुप को उनकी मलयालम कृति ओडक्कुझल (बांसुरी) के लिए मिला।
- तब से यह पुरस्कार भारतीय साहित्य का सबसे बड़ा सम्मान बन गया है।
उद्देश्य
- भारतीय साहित्य में श्रेष्ठ योगदान को मान्यता देना।
- सभी भारतीय भाषाओं में लेखन को प्रोत्साहित करना।
- भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना।
- नई पीढ़ी के लेखकों को प्रेरित करना।
पुरस्कार की संरचना
- ₹11 लाख नकद राशि
- प्रशस्ति पत्र (Citation)
- देवी सरस्वती की कांस्य प्रतिमा
पात्रता
- केवल भारतीय नागरिकों को दिया जाता है।
- 22 अनुसूचित भाषाओं में साहित्यिक कृतियाँ मान्य हैं।
- यह आजीवन योगदान के लिए दिया जाता है, न कि केवल किसी एक पुस्तक के लिए।
चयन प्रक्रिया
- ज्ञानपीठ ट्रस्ट द्वारा विशेषज्ञ समिति गठित की जाती है।
- विद्वानों व साहित्यकारों की अनुशंसा के बाद विजेता तय किया जाता है।
- प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होती है।
पहला और हाल का विजेता
- पहला विजेता (1965) – जी. शंकर कुरुप (मलयालम, ओडक्कुझल)
- पहली महिला विजेता (1976) – आशापूर्णा देवी (बांग्ला)
- हाल के विजेता –
- 2022 – दामोदर माउजो (कोंकणी)
- 2023 – गुलज़ार (उर्दू) एवं जगद्गुरु रामभद्राचार्य (संस्कृत)
- 2024 – विनोद कुमार शुक्ल (हिंदी, छत्तीसगढ़ के पहले लेखक)
सालवार ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता (1965–2024)
वर्ष | विजेता | भाषा / कृति |
---|---|---|
1965 | जी. शंकर कुरुप | मलयालम (ओडक्कुझल) |
1966 | तराशंकर बंद्योपाध्याय | बांग्ला |
1967 | कुवेम्पु व उमाशंकर जोशी | कन्नड़ एवं गुजराती |
1968 | सुमित्रानंदन पंत | हिंदी |
1969 | फिराक गोरखपुरी | उर्दू |
1970 | विश्वनाथ सत्यनारायण | तेलुगु (रामायण कल्पवृक्षम्) |
1971 | बिष्णु दे | बांग्ला |
1972 | रामधारी सिंह दिनकर | हिंदी |
1973 | डी. आर. बेन्द्रे व गोपीनाथ महांति | कन्नड़ व उड़िया |
1974 | विष्णु सकराम खांडेकर | मराठी |
1975 | पी. वी. अकिलन | तमिल |
1976 | आशापूर्णा देवी | बांग्ला (पहली महिला विजेता) |
1977 | के. शिवराम कारंथ | कन्नड़ |
1978 | अज्ञेय (सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन) | हिंदी |
1979 | बिरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य | असमिया |
1980 | एस. के. पोट्टेक्कट | मलयालम |
1981 | अमृता प्रीतम | पंजाबी |
1982 | महादेवी वर्मा | हिंदी |
1983 | मास्ति वेंकटेश अय्यंगर | कन्नड़ |
1984 | थकाज़ी शिवशंकर पिल्लै | मलयालम |
1985 | पन्नालाल पटेल | गुजराती |
1986 | सच्चिदानंद राउत्राय | उड़िया |
1987 | कुसुमाग्रज (वि. व. शिरवाडकर) | मराठी |
1988 | सी. नारायण रेड्डी | तेलुगु |
1989 | क़ुर्रतुलैन हैदर | उर्दू |
1990 | विनायक कृष्ण गोकक | कन्नड़ |
1991 | सुभाष मुखोपाध्याय | बांग्ला |
1992 | नरेश मेहता | हिंदी |
1993 | सीताकांत महापात्र | उड़िया |
1994 | यू. आर. अनंतमूर्ति | कन्नड़ |
1995 | एम. टी. वासुदेवन नायर | मलयालम |
1996 | महाश्वेता देवी | बांग्ला |
1997 | अली सरदार जाफ़री | उर्दू |
1998 | गिरीश कर्नाड | कन्नड़ |
1999 | गुरदयाल सिंह व निर्मल वर्मा | पंजाबी व हिंदी |
2000 | इंदिरा गोस्वामी | असमिया |
2001 | राजेंद्र शाह | गुजराती |
2002 | डी. जयकांतन | तमिल |
2003 | विन्दा करंदीकर | मराठी |
2004 | रहमान राही | कश्मीरी |
2005 | कुंवर नारायण | हिंदी |
2006 | रविंद्र केळेकर व सत्यव्रत शास्त्री | कोंकणी व संस्कृत |
2007 | ओ. एन. वी. कुरुप | मलयालम |
2008 | शहरीयर (अख़लाक़ मोहम्मद ख़ान) | उर्दू |
2009 | अमरकांत व श्रीलाल शुक्ल | हिंदी |
2010 | चंद्रशेखर कंबार | कन्नड़ |
2011 | प्रतिभा राय | उड़िया |
2012 | रवुरी भारद्वाज | तेलुगु |
2013 | केदारनाथ सिंह | हिंदी |
2014 | भालचंद्र नेमाडे | मराठी |
2015 | रघुवीर चौधरी | गुजराती |
2016 | शंख घोष | बांग्ला |
2017 | कृष्णा सोबती | हिंदी |
2018 | अमिताव घोष | अंग्रेज़ी (पहली बार अंग्रेज़ी लेखक) |
2019 | अक्कितम अच्युतन नंबूदिरी | मलयालम |
2021 | नीलमणि फूकन | असमिया |
2022 | दामोदर माउजो | कोंकणी |
2023 | गुलज़ार व जगद्गुरु रामभद्राचार्य | उर्दू व संस्कृत |
2024 | विनोद कुमार शुक्ल | हिंदी (छत्तीसगढ़ के पहले लेखक) |
परीक्षा में महत्व
- पहले विजेता – जी. शंकर कुरुप (1965, मलयालम)
- पहली महिला – आशापूर्णा देवी (1976, बांग्ला)
- अंग्रेज़ी में पहली बार – अमिताव घोष (2018)
- संयुक्त पुरस्कार – 2023 (गुलज़ार व रामभद्राचार्य)
- छत्तीसगढ़ से पहले लेखक – विनोद कुमार शुक्ल (2024)
निष्कर्ष
ज्ञानपीठ पुरस्कार केवल भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और भाषाई विविधता का प्रतीक भी है।
प्रतियोगी परीक्षाओं (UPSC, SSC, बैंकिंग, न्यायिक सेवा) में इससे जुड़े प्रश्न बार-बार पूछे जाते हैं।
इसलिए वर्षवार विजेता, पहली घटनाएँ, हाल के पुरस्कार और इसकी संरचना ज़रूर याद रखनी चाहिए।