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मिशन सुदर्शन चक्र: भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा कवच 2035 तक



मिशन सुदर्शन चक्र: भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा कवच

Table of Content (toc)

जानिए मिशन सुदर्शन चक्र के बारे में विस्तार से – प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित यह राष्ट्रीय सुरक्षा कवच 2035 तक भारत को मल्टी-लेयर्ड डिफेंस सिस्टम देगा। इसमें AI, मिसाइल शील्ड, प्रोजेक्ट कुशा और IACCS जैसी आधुनिक तकनीकें शामिल होंगी। 
मिशन सुदर्शन चक्र भारत की सुरक्षा नीति में ऐतिहासिक कदम है। यह मल्टी-लेयर्ड डिफेंस सिस्टम न केवल दुश्मनों के हमलों को रोकने के लिए बल्कि तत्काल जवाबी कार्रवाई के लिए भी सक्षम 

परिचय

भारत की 79वीं स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त 2025) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से एक ऐतिहासिक घोषणा की – मिशन सुदर्शन चक्र। यह मिशन देश को एक राष्ट्रीय सुरक्षा कवच (Rashtriya Suraksha Kavach) प्रदान करेगा, जो 2035 तक पूरी तरह से लागू होगा। इसका नाम भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य अस्त्र सुदर्शन चक्र से प्रेरित है, जो रक्षा और जवाबी कार्रवाई दोनों का प्रतीक है।


मिशन का उद्देश्य

  • भारत को एक मल्टी-लेयर्ड डिफेंस शील्ड प्रदान करना।
  • रणनीतिक ठिकानों, धार्मिक स्थलों, अस्पतालों, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे और सैन्य ठिकानों की सुरक्षा।
  • देश को आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक (Aatmanirbhar Defence) की ओर ले जाना।
  • दुश्मनों के ड्रोन, मिसाइल, साइबर अटैक जैसे खतरों का मुकाबला करना।

मिशन की प्रमुख विशेषताएँ

  1. मल्टी-लेयर्ड सुरक्षा प्रणाली

    • शुरुआती चेतावनी सेंसर
    • इंटरसेप्टर मिसाइलें
    • भूमि, वायु और समुद्री आधारित राडार
    • कमांड एंड कंट्रोल सेंटर
  2. आक्रामक और रक्षात्मक संतुलन

    • केवल हमले रोकना ही नहीं बल्कि दुश्मन पर तुरंत जवाबी हमला करने की क्षमता।
    • “Target & Return” फीचर – सटीक प्रहार और वापसी।
  3. आधुनिक तकनीक का उपयोग

    • Artificial Intelligence (AI)
    • ड्रोन स्वॉर्म टेक्नोलॉजी
    • लेज़र डिफेंस सिस्टम
    • प्रोजेक्ट कुशा (400 किमी रेंज वाली मिसाइल डिफेंस टेक्नोलॉजी)

भारत की मौजूदा रक्षा प्रणाली से संबंध

  • IACCS (Integrated Air Command & Control System) – वायुसेना, थलसेना और नौसेना को जोड़ने वाली प्रणाली।
  • S-400 सिस्टम (जिसे अनौपचारिक रूप से सुदर्शन चक्र कहा जाता है)।
  • आकाश प्राइम और बराक-8 मिसाइलें।
  • प्रोजेक्ट कुशा (2028-2030 तक तैनात होने की संभावना)।

तैनाती की समयसीमा

  • 2025–2027: मौजूदा सिस्टम का एकीकरण और परीक्षण।
  • 2028–2032: Project Kusha और नई तकनीकों की तैनाती।
  • 2033–2035: पूरे देश में पूर्ण कवरेज।

महत्व

  • भारत की सुरक्षा को वैश्विक स्तर पर मजबूत करना।
  • नागरिकों में सुरक्षा और आत्मविश्वास की भावना बढ़ाना।
  • रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना।
  • भविष्य के हाइब्रिड वॉरफेयर (साइबर + ड्रोन + मिसाइल) से निपटने की क्षमता।

📌 FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. मिशन सुदर्शन चक्र कब तक लागू होगा?
👉 2035 तक इसका पूर्ण संचालन पूरे देश में होगा।

Q2. यह किससे प्रेरित है?
👉 भगवान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र से, जो सुरक्षा और जवाबी प्रहार का प्रतीक है।

Q3. इसमें कौन-सी तकनीकें शामिल होंगी?
👉 AI, लेज़र डिफेंस, ड्रोन टेक्नोलॉजी, इंटरसेप्टर मिसाइलें और Project Kusha।

Q4. क्या यह केवल डिफेंस है या अटैक भी कर सकता है?
👉 यह रक्षा के साथ-साथ तुरंत जवाबी हमला करने में सक्षम होगा।

Q5. इसका लाभ किसे मिलेगा?
👉 भारत के सभी नागरिक, सेना, धार्मिक स्थल, अस्पताल और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय ढाँचे को।


✨ Rich Snippets (Highlights)

  • ✅ भारत का "आयरन डोम" – Mission Sudarshan Chakra
  • ✅ मल्टी-लेयर्ड राष्ट्रीय सुरक्षा कवच 2035 तक
  • ✅ AI, लेज़र और Project Kusha जैसी तकनीकें शामिल
  • ✅ रक्षा और जवाबी हमला दोनों में सक्षम
  • ✅ आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ऐतिहासिक कदम



मिशन सुदर्शन चक्र: भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा कवच 2035 तक

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