Shibu Soren Biography: झारखंड के दिशोम गुरु की जीवन यात्रा
जनआंदोलन से मुख्यमंत्री तक – झारखंड के निर्माता शिबू सोरेन की 80 वर्षों की संघर्षगाथा
परिचय
4 अगस्त 2025 को झारखंड के लोकप्रिय नेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन का 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे झारखंड के आदिवासी समाज के प्रतीक, तीन बार मुख्यमंत्री और देश के कोयला मंत्री रह चुके थे। यह जीवनी उनके संघर्ष, उपलब्धियों और योगदान को समर्पित है।
प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
- जन्म: 11 जनवरी 1944
- जन्मस्थान: नेमरा गांव, रामगढ़ जिला (तत्कालीन बिहार, वर्तमान झारखंड)
- समुदाय: संथाल आदिवासी
- पिता: सोबरन मांझी (1957 में हत्या कर दी गई थी)
पिता की हत्या के समय शिबू सोरेन मात्र 15 वर्ष के थे। इस घटना ने उनके भीतर विद्रोह की भावना को जन्म दिया और उन्होंने आदिवासियों के हक के लिए जीवन समर्पित करने का निर्णय लिया।
सामाजिक संघर्ष और झारखंड आंदोलन की नींव
- 1960 के दशक में "संताल नवयुवक संघ" की स्थापना
- 1973 में ए.के. रॉय और बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना
झारखंड आंदोलन की मांग:
- अलग झारखंड राज्य
- जल, जंगल, ज़मीन पर अधिकार
- आदिवासी संस्कृति और पहचान की रक्षा
राजनीतिक करियर की शुरुआत
- 1977 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ा
- 1980 में दुमका से पहली बार सांसद बने
- 1989, 1991, 1996, 2002, 2004 में फिर से सांसद बने
उनका चुनावी क्षेत्र दुमका झारखंड की राजनीति का केंद्र बन गया।
झारखंड राज्य की स्थापना
शिबू सोरेन के लंबे संघर्ष के बाद 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य का निर्माण हुआ। यह उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक थी।
मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल
पहला कार्यकाल: मार्च 2005 – केवल 10 दिन
दूसरा कार्यकाल: अगस्त 2008 – जनवरी 2009
तीसरा कार्यकाल: दिसंबर 2009 – मई 2010
तीनों कार्यकाल राजनीतिक अस्थिरता के कारण छोटे रहे, लेकिन उन्होंने हमेशा आदिवासी अधिकारों की पैरवी की।
केंद्रीय मंत्री के रूप में योगदान
- कोयला मंत्री (2004–2005, 2006)
- कोयला क्षेत्रों में आदिवासी रोजगार के लिए पहल की
विवाद और मुकदमे
चिरुडीह नरसंहार मामला (1975): मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हिंसा में आरोप लगे लेकिन 2008 में बरी हो गए।
शशिनाथ झा हत्या मामला (1994): आजीवन कारावास की सजा मिली, लेकिन 2007 में दिल्ली हाई कोर्ट से बरी हो गए।
पारिवारिक जीवन
- पत्नी: रूपी सोरेन
- बेटे: हेमंत सोरेन (मुख्यमंत्री), दुर्गा सोरेन (स्व.), बसंत सोरेन
- बेटी: अंजलि सोरेन
अंतिम समय और निधन
जून 2025 में गंभीर बीमारियों से ग्रसित हुए। 4 अगस्त 2025 को सुबह 8:56 बजे दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में उनका निधन हुआ। राज्य सरकार ने 3 दिन का राजकीय शोक घोषित किया।
राजनीतिक और सामाजिक विरासत
- “दिशोम गुरु” के नाम से विख्यात
- झारखंड आंदोलन के प्रेरणास्रोत
- आदिवासी समाज के सामाजिक और राजनीतिक नेतृत्व का प्रतीक
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. शिबू सोरेन की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या थी?
झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाना और आदिवासी समाज को राजनीतिक नेतृत्व देना।
Q2. उन्हें "दिशोम गुरु" क्यों कहा जाता था?
“दिशोम” का अर्थ होता है “धरती” और “गुरु” मतलब “नेता”। उन्होंने धरती पुत्र के रूप में आदिवासियों के लिए संघर्ष किया।
Q3. क्या उनके ऊपर कोई आपराधिक मामले थे?
हां, लेकिन दोनों में बाद में न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया।
Q4. उनके उत्तराधिकारी कौन हैं?
उनके पुत्र हेमंत सोरेन, वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं।
Rich Snaps (मुख्य बिंदु)
- ✅ झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक
- ✅ तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री
- ✅ कोयला मंत्री
- ✅ आदिवासी समाज के सशक्त नेता
- ✅ 4 अगस्त 2025 को निधन
निष्कर्ष
शिबू सोरेन एक नेता से अधिक, एक आंदोलन थे। उन्होंने जो बीज 1970 में बोया था, वही झारखंड के रूप में फला-फूला। उनका जीवन संघर्ष, नेतृत्व और न्याय की मिसाल बना रहेगा।
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